
अगर इस्लाम शांति और सम्मान का पैगाम लेकर आया, तो भारतीय उपमहाद्वीप के 70 करोड़ मुसलमानों की जड़ें उन लाखों हिंदू महिलाओं से क्यों जुड़ी हैं, जिन्हें तलवार की नोंक पर यौन गुलाम बनाया गया?
इस्लाम का ढोल पीटने वाले कहते हैं कि यह धर्म शांति का है और तलवार से नहीं फैला—औरंगज़ेब को गुलाम औरतों के शोषण को वैध बनाने के लिए तीन खंडों में फतवा-ए-आलमगीरी क्यों संकलित करवाने पड़े?
भूमिका-
“इतिहास का लेखा-जोखा और शरीअत की परंपरा इस ओर इशारा करती है कि आज के अधिकांश मुसलमान जबरन धर्मांतरित और गुलाम बनाई गई महिलाओं की संतान हैं।”
यह कोई भावनात्मक आरोप नहीं, बल्कि कड़वा ऐतिहासिक सत्य है — जो इस्लामी सैन्य अभियानों, शरीअत में गुलामी के कानूनों, और मुस्लिम सल्तनतों की सामाजिक संरचना पर आधारित है।
भारत में इस्लाम को अक्सर सांस्कृतिक समरसता और सौहार्द का प्रतीक बताया जाता है। कुछ बुद्धिजीवी तो यहाँ तक कहते हैं कि “भारतीय इस्लाम, अरबी इस्लाम से अलग है — वह अधिक शांत और भारतीय है।” लेकिन क्या यह दावा ऐतिहासिक समीक्षा में खरा उतरता है?

मूल प्रश्न सरल है:
इस्लाम भारत में कैसे आया — प्रेम से या आक्रमण से? धर्मप्रचार से या तलवार की ताक़त से? समानता से या गुलामी की कोख से?
इस लेख में हम “भारतीय इस्लाम” की जड़ों को तलाशेंगे — अरब, तुर्क, मंगोल और अफगान आक्रांताओं के रक्तरंजित रास्तों से आए वो बीज, और वो आबादी जो आज खुद को “भारतीय मुसलमान” कहती है — क्या वे सच में धर्मांतरित हैं या पराजित हिंदू महिलाओं की संतानें?
“यह पूरा लेख किसी कल्पना या पूर्वाग्रह पर आधारित नहीं है। यहाँ जो भी तथ्य रखे जा रहे हैं, वे इस्लामी इतिहासकारों (तबरी, बरनी, मिंहाज, अबुल फ़ज़ल आदि), शरीअत की किताबों (कुरान, हदीस, फ़तवा-ए-आलमगिरी) और मुस्लिम सुल्तानों की आत्मकथाओं पर आधारित हैं। हम केवल वही उद्धृत कर रहे हैं जो उन्होंने स्वयं लिखा।”
भाग 1: जनसंख्या का सच या आंकड़ों का खेल
1.1 हिंदू-मुस्लिम जनसंख्या का भ्रम
“अगर इस्लाम तलवार से फैला होता, तो भारत में हिंदू आज भी 80% कैसे हैं?” — यह कोई तार्किक तर्क नहीं बल्कि सत्य को छुपाने वाली भ्रांति है।
यह सवाल असल में तर्क नहीं कुतर्क है, यह सच को तोड़ता-मरोड़ता है। मुगल काल में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान एक थे। आज के परिदृश्य में देखें तो:
- पाकिस्तान: 24 करोड़ मुसलमान
- बांग्लादेश: 18 करोड़ मुसलमान
- भारत: 25 करोड़ मुसलमान
- कुल: कुल: 70 करोड़ मुसलमान बनाम 97 करोड़ हिंदू (भारत 95 करोड़, बांग्लादेश 1.5 करोड़, पाकिस्तान 35 लाख), आज मुसलमान कुल आबादी का 43% हैं और कुछ दशकों में यह संख्या हिंदुओं के बराबर या उनसे अधिक हो सकती है।
तो ये स्थायी हिंदू बहुसंख्या का भ्रम अब नहीं टिकता।
1.2 जलता हुआ सवाल
अरब सेना 20,000–50,000 की ही थी। आज भी 10 अरब देशों की कुल जनसंख्या 33 करोड़ ही है — यानी आधी से भी कम। तो फिर इस उपमहाद्वीप में 70 करोड़ मुसलमान कैसे हुए?

क्या ये सभी लोग कुरान पढ़कर स्वतः ही मुसलमान बन गए? या तलवार, गुलामी और उत्पीड़न से उनकी पहचान गढ़ी गई?
भाग 2: तलवार का इतिहास — शांति का भ्रम
2.1 इस्लाम का आगमन
7वीं सदी के अरब में जन्मे इस धर्म ने ईरान, मध्य एशिया होते हुए भारत में तलवार के बल पर प्रवेश किया। सूफियों की कहानियाँ सुनाई जाती हैं, लेकिन सैन्य लूट और कत्लेआम की है।
2.2 असली हथियार — तलवार
हिंदू और बौद्ध राजा भी युद्ध करते थे, लेकिन इस्लाम ने एक नया आयाम जोड़ा — बलात धर्मांतरण। मौत की धमकी, जज़िया का अत्याचार, और गुलामी की बेड़ियाँ इसके औज़ार थे। शांति का मुखौटा हटाइए — तो नीचे लहू और लूट दिखती है।
भाग 3: जबरन धर्मांतरण — मज़बूरी का जाल
3.1 तलवार की नोक पर
मुस्लिम शासकों ने हु़दना (कूटनीतिक झूठ) और कित्मान (छिपाव) जैसे सिद्धांतों से हिंदू राजाओं को हराकर 3 विकल्प दिए:

- मौत का डर: इस्लाम कबूल करो या गर्दन कटेगी
- जज़िया का ज़ुल्म: इतना टैक्स कि पीठ टूट जाए
- गुलामी की नरक: महिलाओं को लौंडी, बच्चों को मुसलमान बना दो
जौहर की परंपरा इसी आतंक से उपजी।
3.2 कुरान का आदेश
सूरा 9:29 — “उनसे लड़ो जो अल्लाह और अंतिम दिन पर विश्वास नहीं करते… जब तक वे जज़िया न दें।”
यह कोई शांति संदेश नहीं, बल्कि अत्याचार का आदेश था। जो हिंदू जज़िया न दे सके, उन्हें धर्म बदलना पड़ा।
भाग 4: इस्लामी आक्रमण और महिलाएं — युद्ध की कोख
शरीअत के अनुसार, युद्ध में पकड़े गए गैर-मुस्लिमों को बाँट दिया जाता — पुरुष मारे जाते या गुलाम बनते, महिलाएँ “लौंडी” (concubine) बनतीं। यौन दासता को “ईश्वरीय इनाम” माना गया।
4.1 माल-ए-ग़नीमत का खेल
सूरा अल-अंफ़ाल — युद्ध की लूट पर 75 आयतें।
शब्द: गनीमत (غَنِيمۃ) — गैर-मुसलमानों से छीनी गई संपत्ति: धन, ज़मीन और स्त्रियाँ।

4.2 मलिक-उल-यमीन का शोषण
कुरान की आयतें 33:50, 23:5–6, 4:3, 4:24 — गुलाम महिलाओं से बिना निकाह यौन संबंध वैध करती हैं।
4.3 इतिहासकारों का वर्णन
इब्न सईद, तबरी, वाक़िदी, इब्न कसीर, इब्न हिशाम — सभी युद्ध में महिलाओं की लूट और यौन उपयोग का दस्तावेज रखते हैं।
इस्लामी गुलामी की प्रथा की जानकारी के लिए ये लेख देखे क्लिक करे
भाग 5: भारत में गुलामी के ज़ख्म
मुहम्मद बिन कासिम (711 ई.) — सिंध पर हमला
स्रोत: चचनामा, तारीख-ए-हिंद, तारीख-ए-तबरी
राजा दाहिर की बेटियाँ सुर्या और परमल ख़लीफ़ा वलीद को भेट किया, हजारों लड़कियां लौंडी बना कर सेना में बाँटी गईं।

“उसने (क़ासिम ने) अनेक कुलीनों की सुंदर कन्याओं को बंदी बनाया, उन्हें तोहफ़े के रूप में ख़लीफ़ा के पास भेज दिया, और स्वयं भी अनेक लौंडियों के साथ भोग-विलास किया।”
— चचनामा (अनुवाद: मिर्ज़ा कलीच बेग)
महमूद ग़ज़नवी (11वीं सदी) — 17 बार हमला
स्रोत: तारीख-ए-यमिनी
17 बार भारत पर आक्रमण, हर बार लूट, हजारों औरतों को गुलाम बना कर गज़नी ले जाया गया।
“स्त्रियों और बच्चों को गुलाम बना लिया गया, और नगरों में केवल चीख-पुकार गूंजती रही।”
— तारीख़-ए-यमिनी (महमूद ग़ज़नवी का इतिहास ग्रंथ)
मोहम्मद गोरी (1192) — तराइन युद्ध
स्रोत: ताज-उल-मासीर, तबकात-ए-नासिरी
पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद हिन्दू राजकुमारियाँ और महिलाएँ ग़ुलाम बनाई गईं।

दिल्ली और अजमेर में ग़ुलाम मंडियां स्थापित हुईं।
“असंख्य हिंदू स्त्रियों को बंदी बनाया गया, और ग़ज़नी के बाज़ारों में उनकी चीख़ें गूंजती रहीं।”
— तबक़ात-ए-नासिरी (लेखक: मिंहाज-उस-सिराज)
अलाउद्दीन खिलजी (1296–1316)
स्रोत: तारीख-ए-फिरोजशाही (ज़ियाउद्दीन बरनी), अमीर खुसरो
1303 में रानी पद्मिनी की कथा — भले ही कुछ इसे मिथक मानते हैं, पर कई स्रोत इसे राजपूती मान-मर्यादा के लिए जौहर की शुरुवात का कारण बताते हैं। दक्षिण भारत से हज़ारों स्त्रियाँ गुलाम लौंडी बनाकर दिल्ली लाई गईं।
“राजाओं की सुंदर कन्याओं को लौंडियों में बदल दिया गया।”
— बरनी, तारीख़-ए-फिरोज़शाही
तैमूर (1398) — दिल्ली हमला
स्रोत: तुज़्क-ए-तैमूरी (तैमूर की आत्मकथा)
उसने स्वयं लिखा:
“इस्लाम की तलवार चलाई गई। हिंदुओं को क़त्ल किया गया, उनकी स्त्रियों और बेटियों को लूट का माल बनाकर मेरे सैनिकों में बाँट दिया गया।”

— (तैमूर के आत्मवृत्त ‘तुज़्क़-ए-तैमूरी’ से)
दिल्ली में एक लाख बंदी हिंदू औरतें से बलात्कार किया और लौंडियाँ बनाया।
“प्रत्येक सैनिक ने 20 से 100 हिंदू गुलाम अपने कब्ज़े में किए। महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, उन्हें बेचा गया या अपने पास रख लिया गया।”
— तुज़्क़-ए-तैमूरी (अनुवाद: एलियट और डाउसन)
बाबर (1526)
स्रोत: बाबरनामा
बाबर खुलकर “जवानी और सुंदरता” की प्रशंसा करता है, और हारने वालों की स्त्रियों को बांटने का वर्णन करता है।
अकबर (1556–1605)
स्रोत: आईन-ए-अकबरी, अकबरनामा (अब्दुल फ़ज़ल)
अकबर को “सहिष्णु” कहा जाता है, परंतु:
Rajasthan campaigns में हिंदू राजकुमारियों को हरम में लाया गया।
हरम में 5000 से अधिक महिलाएं — अधिकांश ग़ुलाम लड़ाइयों की लूट से।
औरंगज़ेब (1658–1707)
स्रोत: मआसिर-ए-आलमगिरी (साकी मुस्तअद खान), फतवा-ए-आलमगिरी
वारंगल, अहमदनगर, बीजापुर में युद्धों के दौरान स्त्रियों को गुलाम बनाया गया।
औरंगज़ेब का शासन शरीयत पर आधारित था, जिसमें काफिर औरतों को माले-ग़नीमत माना गया।

“बंधक बनाई गई हिंदू महिलाओं को मुस्लिम सैनिकों में बाँट दिया गया।”
— मआसिर-ए-आलमगिरी
भारत पर इस्लामी हमलों में बलात्कार और स्त्रियों को सेक्स स्लेव बनाने की घटनाएं कोई अपवाद नहीं थीं, बल्कि एक संस्थागत इस्लामी युद्धनीति का हिस्सा थीं — जिसे धार्मिक वैधता मिली थी।
यह इतिहास, मुस्लिम इतिहासकारों द्वारा ही लिखा गया है – किसी “हिंदू कल्पना” का हिस्सा नहीं है।
भाग 6: मजहबी जनसंहार और जबरन धर्मांतरण
कुरान 9:5 — “मूर्तिपूजकों को जहाँ पाओ, मार डालो”
कुरान 8:12 — “मैं काफ़िरों के दिलों में दहशत डालूँगा… उनकी गर्दनें उड़ाओ।”
ये आयतें शांति नहीं, धार्मिक हिंसा का आदेश थीं।
इतिहास के उदाहरण:
कासिम (711):
चाच नामः: “सिंध देबल में हजारों ब्राह्मणों को मार डाला गया…”

Tarikh-e-Tabari: “40,000 कैदियों को मुसलमान बनाया गया।”
“उसने हज़ारों काफ़िरों को क़त्ल कर दिया और बाकी को तलवार की धमकी देकर जबरन इस्लाम में धर्मांतरित किया।”
— चचनामा
ग़ज़नवी (1000–1025):
Tarikh-i-Yamini (उल्तबी) — मथुरा में 50,000 से अधिक हिंदू मारे गए। सोमनाथ पर आक्रमण (1025) में हज़ारों की हत्या और 20,000 गुलाम बनाए गए।
“मूर्तिपूजकों का रक्त धाराओं की तरह बहा… एक ही दिन में 50,000 को क़त्ल कर दिया गया।”
— तारीख़-ए-यमिनी
गोरी (1192):
दिल्ली-अजमेर में नरसंहार,
Tabaqat-i-Nasiri: “हज़ारों काफ़िर मारे गए… जीवित बचे लोग मुसलमान बनाए गए।”
“जो विरोध करते थे उन्हें क़त्ल कर दिया गया, बाकी को गुलाम बनाकर जबरन धर्मांतरित किया गया।”
— मिंहाज-ए-सिराज

कुतुबुद्दीन ऐबक (13वीं सदी):
Taj-ul-Maasir: मेरठ में 30,000 हिन्दू मार दिए
“हिंदुओं का रक्त पानी की तरह बहा… उनके मंदिरों को मस्जिदों में बदल दिया गया।”
— ताज-उल-मआसिर
अलाउद्दीन खिलजी (1296–1316):
“चित्तौड़ में 30,000 हिंदुओं को इस्लाम स्वीकार न करने के कारण तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया।”
— जियाउद्दीन बरनी, तारीख़-ए-फिरोज़शाही
तैमूर (1398 AD) :
दिल्ली पर आक्रमण 1 लाख हिंदू मारे
“मैंने आदेश दिया कि मेरी सेना की हिरासत में जो भी हिंदू हैं, उन्हें युद्ध से पहले ही मार डाला जाए… 1,00,000 मारे गए।”
— तुज़्क़-ए-तैमूरी (आत्मवृत्त)
शेर शाह सूरी (1540–45)
घटना: बंगाल व बिहार में जबरन धर्मांतरण
स्थानीय इतिहास — Ain-i-Akbari में उल्लेख कि शेरशाह के शासन में हज़ारों हिन्दुओं को ज़ज़िया कर और दमन के ज़रिए इस्लाम अपनाने को मजबूर किया गया।

अकबर (1556-1605):
चित्तौड़गढ़ (1568) – 30,000 हिंदू नागरिकों की हत्या
“मारे गए लोगों की संख्या 30,000 से अधिक थी… उनकी खोपड़ियों को एकत्र कर खोपड़ी-मीनारें बनाई गईं।”
— अकबरनामा
औरंगज़ेब (1658–1707):
बनारस, मथुरा, उज्जैन में मंदिर विध्वंस
धर्मांतरण को प्रोत्साहन: मुसलमान बनाने पर इनाम, जमीन, पद दिया जाता था।
काशी, पंजाब, महाराष्ट्र में बलपूर्वक धर्मांतरण
“हज़ारों लोगों को जबरन धर्मांतरित किया गया… मंदिरों को ज़मीनदोज़ कर दिया गया।”
— मआसिर-ए-आलमगिरी
भाग 7: औरंगज़ेब के विरुद्ध सिख प्रतिरोध
गुरु तेग़ बहादुर (1675) — कश्मीरी ब्राह्मणों की रक्षा में शहीद
उनके साथियों को भी अमानवीय तरीकों से मारा गया:

भाई मतीदास को आरी से चीर दिया गया।
भाई दयालदास को उबलते पानी में डाला गया।
भाई सतिदास को जिंदा जला दिया गया।
स्रोत:
Bachitra Natak (by Guru Gobind Singh)
Twarikh-i-Firishta
Sikh history by Khushwant Singh
गुरु गोबिंद सिंह के पुत्र (1705) — दो युद्ध में शहीद, दो को दीवार में चिनवाया
हत्या की साज़िश — नांदेड़ में एक हमलावर ने हमला किया, जिससे बाद में गुरुजी का निधन हो गया।
“औरंगज़ेब के गवर्नरों ने गुरु की हत्या की साज़िश रची।”
— गुरबिलास पातशाही दसवीं, सिख इतिहास (लेखक: डॉ. त्रिलोचन सिंह)
सिखों के खिलाफ जिहाद का आदेश:
“ये काफ़िर अल्लाह की नहीं, अपने गुरु की पूजा करते हैं। इन्हें मार डाला जाना चाहिए।”
— औरंगज़ेब के अपने गवर्नरों को लिखे पत्र, जो फ़ारसी अभिलेखों में सुरक्षित हैं
भाग 8: टीपू सुल्तान का जिहाद
मालाबार (Kerala):
“हज़ारों नायरों को जबरन मुसलमान बनाया गया। मंदिर तोड़े गए, पुजारियों को मार दिया गया।”
“कालीकट में इस्लामी तलवार के आगे कोई ब्राह्मण या हिंदू पुजारी जीवित नहीं बचा।”

— ब्रिटिश अधिकारी कर्नल विल्क्स, मैसूर गजेटियर
कोडगु (कूर्ग):
“अप्रैल 1788 में, 70,000 कोडवाओं को बंदी बनाकर श्रीरंगपट्टनम लाया गया और इस्लाम में धर्मांतरित किया गया।”
“70,000 से अधिक लोगों को जबरन धर्मांतरित किया गया और पुरुषों का खतना किया गया।”
— हिस्ट्री ऑफ कूर्ग, कर्नल विल्क्स
मैंगलोर के ईसाई (Mangalorean Catholics):
1784 में टीपू ने 60,000 ईसाइयों को बंदी बनाकर श्रीरंगपट्टनम भेजा। हज़ारों की हत्या की गई और इस्लाम कबूल न करने वालों के चर्च तोड़े गए।
“उसने गिरजाघरों को तोड़ा और ईसाई लड़कों का जबरन खतना किया।”
— रिव. गोपाल चेट्टी (मद्रास)
धारवाड़, श्रीरंगपट्टनम और कर्नाटक के अन्य हिस्से

“हज़ारों हिन्दुओं को इस्लाम कबूल करवाया गया, उनके नाम बदले गए और अरब परंपरा अपनाई गई।”
टीपू के पत्र (मूल फारसी से अनुवादित):
“अल्लाह की कृपा से हमने कई हिंदुओं को बंदी बनाया और उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित किया। अल्लाह का शुक्र है जिसने मुझे अपने धर्म का माध्यम बनाया।”
— टीपू सुल्तान के चयनित पत्र, सय्यद अब्दुल दुलई को, जनवरी 1790
टिप्पणी: फिर भी उन्हें “स्वतंत्रता सेनानी” कहा जाता है — क्योंकि अंग्रेज़ों से लड़ा। वामपंथी इतिहासकारों (Irfan Habib, Romila Thapar, आदि) ने उसकी इस्लामी कट्टरता को छिपाया।
जबकि टीपू खुद को कहता था —
“Ghazi” (काफ़िरों से जिहाद करने वाला)
“एक देशभक्त क्रन्तिकारी विदेशी ताकत से लड़ता है अपने देशवासियों का क़त्ल कर के जबरदस्ती उनका धर्म परिवर्तन नहीं करवाता”

भारत में इस्लामी शासन का इतिहास केवल युद्ध का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और मानविक विनाश का इतिहास भी है। यह कोई “हिंदूवादी” कल्पना नहीं, बल्कि मुस्लिम लेखकों द्वारा स्वयं लिखित इतिहास है।
भाग 9: गुलाम महिलाओं की कोख से जन्मा मुसलमान समाज
“फतवा-ए-आलमगिरी” — शरीयत आधारित कानून जिसमें कहा गया है:
“ग़ैर-मुस्लिम को या तो इस्लाम कबूल करना होगा, या मारा जाएगा, या गुलाम बनेगा”
औरंगजेब को गुलाम औरतों के शोषण को काबू करने के लिए इजिप्ट और अरब से 400 विद्वानों बुलाकर 76 पेज की 3 किताबें (वॉल्यूम 4 5 6) लिखवानी पड़ीं। गुलामों(मुश्तर्का बांदी जो कई में बंटी हुई हो) को बाँटने, बेचने, और उनके बच्चों को ठिकाने लगाने का कानून—ये था इस्लाम का “न्याय”?
9.1 हिंदू महिलाओं का बलिदान
आज के 70 करोड़ मुसलमानों में से बहुत बड़ी संख्या उन हिंदू महिलाओं की कोख से हुई — जिनके पास गुलाम बन कर बलात्कार होने के सिवा कोई विकल्प न था। जौहर की आग इन जुल्मों की गवाह है, जहां औरतों ने दासता से बेहतर जिंदा जल जाना चुना।
9.2 विडंबना
आज उन्हीं के वंशज अपने पूर्वजों के बलात्कारी आक्रांताओं को पूजते हैं — क्या यह मानसिक गुलामी नहीं?

—क्या ये स्टॉकहोम सिंड्रोम नहीं?
भाग 10: अंतिम विचार — कड़वा लेकिन आवश्यक सत्य
“भारतीय इस्लाम” प्रेम से नहीं, बल्कि तलवार की धार और गुलामी की कोख से उपजा। मंदिर ढहे, परिवार उजड़े, पहचानें बलपूर्वक बदली गईं।
आज के मुसलमानों को समझना चाहिए:
उनकी इस्लामी पहचान आस्था से नहीं, बल्कि उनकी दादी-नानियों की बेबसी से उपजी है।
इस्लामी विस्तार केवल सैन्य नहीं था — यह जनसंख्या, यौन और सांस्कृतिक हथियार भी था।
अंतिम प्रश्न:
क्या कोई धर्म…
महिलाओं को गुलाम बना सकता है?
निकाह के बिना यौन संबंध को वैध कर सकता है?
बलात्कार से उत्पन्न संतान को “धार्मिक परिवार” कह सकता है?
क्या यह आत्मा का बलात्कार नहीं है?
जो मुसलमान आज खुद को ‘जन्म से मुसलमान’ कहते हैं — उन्हें यह जानने की ज़रूरत है कि उनका धर्म नहीं, उनकी दादी-नानी की बेबसी ही उनकी इस्लामी पहचान की नींव है।
और अगर आज भी कोई इस विरासत पर गर्व करता है — तो क्या वो नैतिक रूप से मानसिक गुलामी में नहीं है?

“इतिहास केवल अतीत की बात नहीं है। अगर हम इस इतिहास को नहीं समझेंगे, तो वही गुलामी आज मानसिक रूप से जारी रहेगी। मुसलमान अपने पूर्वजों की बेबसी को ‘ईश्वर की इच्छा’ कहकर भूल जाएँगे, और हिंदू उस सच्चाई को अनदेखा करेंगे कि उनकी बहनों और माताओं का बलिदान इस्लामी विस्तार की असली नींव था।”
“सवाल यह नहीं कि इस्लाम भारत में कैसे आया। असली सवाल यह है कि क्या आज के मुसलमान अपनी जड़ों को पहचानने का साहस करेंगे या वे उस मानसिक गुलामी पर गर्व करते रहेंगे जो तलवार और हरम की कोख से पैदा हुई?”
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संदर्भ सूची:
Sahih Muslim 3432
Quran 4:24, 23:6, 33:50
Tafsir al-Tabari, Ibn Kathir, Qurtubi
Tarikh al-Tabari, Ibn Ishaq’s Sirat Rasul Allah
Baburnama, Ain-i-Akbari, Tarikh-i-Firishta
William Dalrymple: The Anarchy
K.S. Lal: Growth of Muslim Population in Medieval India
Chachnama – ट्रांस. Mirza Kalich Beg
Tarikh-i-Yamini – Al-Utbi
Tabaqat-i-Nasiri – Minhaj Siraj
Tarikh-i-Firozshahi – Ziauddin Barani
Tuzk-i-Taimuri – Memoirs of Tamerlane
Baburnama, Akbarnama, Ain-i-Akbari – Abul Fazl
Maasir-i-Alamgiri – Saki Mustaid Khan
Fatawa-i-Alamgiri – Compiled under Aurangzeb
Travels of François Bernier, Niccolao Manucci – Mughal India accounts
Elliot and Dowson, The History of India as Told by Its Own Historians — 8 Volumes (Gold standard)
Select Letters of Tipu Sultan
Mysore Gazetteer – Lewis Rice
History of Coorg – Col. Wilks
Travels of Buchanan – Francis Buchanan (visited shortly after Tipu’s death)
Tipu Sultan: The Tyrant of Mysore – Sandeep Balakrishna
British archives (India Office Library)
