इस्लाम में गुलाम और लौंडी: एक शर्मनाक सत्य

“अगर शराब हराम हो सकती थी, तो इंसानों को बेचना हराम क्यों नहीं?”

भूमिका:

इस्लाम के अनुयायी जब ग़ुलामी और लौंडी की बात आती है, तो दो जवाब देते हैं:

  1. “वो उस समय की बात थी”
  2. “इस्लाम ने गुलामी को सुधार दिया”

मगर सवाल यह है कि क्या एक ईश्वरीय धर्म, जो दावा करता है कि वह आख़िरी और सम्पूर्ण मार्गदर्शन है, वह गुलामी जैसी अमानवीय प्रथा को समाप्त नहीं कर सका? जबकि उसी समय शराब, सुअर, मूर्तिपूजा, रिबा (ब्याज) — सब पर पाबंदी लगा दी गई थी।

कुरान और लौंडी प्रथा (Mā Malakat Aymānukum – ما ملكت أيمانكم)

इस्लाम में लौंडी शब्द को “मालिकत यमीन” कहा गया — मतलब “तुम्हारे दाहिने हाथ की मिल्कियत”, यानी पूर्ण संपत्ति।

➤ कुरान की आयतें:

  1. सूरह अल-मुमिनून 23:5-6
    “जो अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करते हैं — अपनी पत्नियों और अपनी लौंडियों के सिवा, क्योंकि इन पर कोई दोष नहीं।”
  2. सूरह अल-निसा 4:24
    “और विवाहित औरतें (तुम पर हराम हैं) — सिवाय उन औरतों के जो तुम्हारे दाहिने हाथ की मिल्कियत हों।”
  3. सूरह अल-अहज़ाब 33:50
    “हे नबी! हमने तुम्हें उन औरतों को हलाल किया जिनका महर तुमने दिया… और जो लौंडी तुम्हें युद्ध में मिली…”

मतलब: लौंडियों के साथ विवाह, इजाज़त, या रज़ामंदी की ज़रूरत नहीं थी। वह पूर्णतः मालिक की संपत्ति थीं। कुरान की अन्य आयत सूरह अल-मआरिज़ (70:29-30) मे भी इसकी अनुमति है।

तफ़सीर इब्न कसीर (Tafsir Ibn Kathir)

संदर्भ आयत: सूरह अल-मुमिनून (23:6)

“यह आयत स्पष्ट करती है कि पुरुषों के लिए दो प्रकार की स्त्रियों से यौन संबंध जायज़ हैं: (1) पत्नियाँ (2) लौंडियाँ जिन पर उनका मालिकाना हक हो।”

तफ़सीर अल-क़ुर्तुबी (Tafsir al-Qurtubi)

संदर्भ: सूरह 23:6 और 4:24

 क़ुर्तुबी की व्याख्या:

“इस आयत में ‘ما ملكت أيمانهم’ का अर्थ है – वह स्त्रियाँ जो गुलामी के रूप में तुम्हारे अधिकार में हों।”

“इससे यह निष्कर्ष निकाला गया है कि मालिक को अपनी गुलाम स्त्री से सहवास करने का पूर्ण अधिकार है, और यह विवाह के बिना भी वैध है।”

क़ुर्तुबी ने आगे कहा कि अगर उस लौंडी से बच्चा हो जाए, तो वह “उम्म-वलद” कहलाएगी और उससे संबंध फिर भी जारी रह सकते हैं।

तफ़सीर अल-तबरी (Tafsir al-Tabari)

संदर्भ: सूरह अल-निसा (4:24)

“इस आयत का अर्थ है कि अगर कोई विवाहित स्त्री किसी युद्ध में बंदी बन जाए और मालिक की लौंडी बन जाए, तो मालिक को उससे संबंध बनाने की अनुमति है, भले ही वह पहले से शादीशुदा हो।”

क्योंकि उसका निकाह बंदी बनते ही अमान्य (nullified) हो जाता है।

सुन्नन अबू दाऊद 2155 में उल्लेख है कि कुछ सैनिक उन गुलाम औरतों के साथ संबंध बनाने से हिचक रहे थे जिनके पति जीवित थे। तब अल्लाह ने क़ुरान 4:24 आयत भेजी, जिसमें इसे “वैध” घोषित कर दिया गया।

Sunan Abu Dawood 2155
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गुलामी—इस्लाम का काला सच

4.1 माल-ए-गनीमत का खेल: —सूरा अल-अनफाल ( अरबी : ٱلأنفال , जिसका अर्थ है युद्ध की लूट, कमाई, बचत, लाभ) युद्ध की लूट और उसके बंटवारे पर आधारित 75 आयतों का पूरा सूरह। “शब्द: غَنِیمۃ (ग़नीमा)” यानी दुश्मन (गैर मुसलमान) से छीना हुआ माल—धन, जमीन, और औरतें। युद्ध लुट में मोहम्मद का हिस्सा 20%सूरह अनफाल (8:40)—क्या ये पैगंबर था या लुटेरा?

मुहम्मद और गुलाम-लौंडी

पुरुष गुलाम – नामों सहित:

वैसे तो संख्या बहुत ज्यादा है पर कुछ के नाम

  1. ज़ैद बिन हारिसा
  2. अन्सा
  3. मुईरित
  4. माबूर
  5. अबू राफ़े
  6. अब्दुल रहमान
  7. सलीम
  8. अबु कुब्शा
  9. थौबान
  10. कुर्किर
  11. राफ़े
  12. अबु हाफ़स
  13. मधआम
  14. फतह
  15. शुक़रान
  16. सलीम मौला अबू हुदैफ़ा
  17. किरकिरा
  18. वहशी (हमज़ा को मारने वाला, बाद में ग़ुलाम बन गया)
  19. अर्बद
  20. अबु मखतूफ
    (स्रोत: Ibn Sa’d’s Tabaqat, Al-Tabari)

महिला गुलाम/लौंडियाँ :

संख्या बहुत ज्यादा है पर कुछ के नाम

  1. मारिया क़िब्तिया
  2. रेहाना बिन्त ज़ैद
  3. जुऐरिया बिन्त हारिस
  4. सफ़िया बिन्त हुय्यै
  5. उम्मे ऐमन
  6. उम्मे वक़ीद
  7. मैमूना
  8. मिमूना
  9. ख़दीरा
  10. सलमा
  11. नसीबा
  12. हाफ्सा (ग़ुलाम नहीं थीं, लेकिन ग़ुलामों की सेवा में थीं)
  13. शीरिन (मारिया की बहन)
  14. तकीया
  15. अल-अनबर
  16. फातिमा (लड़ाई में पकड़ाई)
  17. ज़ैनब
  18. सफ़ा
  19. उम्मुल अला
  20. खिरा

बग़दादी इतिहासकार Tabari और हदीस संग्रह Sahih Muslim, Sahih Bukhari, Ibn Sa’d की किताबों में इनका ज़िक्र है।अल तबरी किताब अल रसूल, अलकिताब अल तबाकत अल कबीर इब्न साद, इब्न हिशाम सीरत रसूल अल्लाह जैसी सीरत की किताबें चीख-चीखकर कहती हैं मोहम्मद के पास ढेर सारी यौन गुलाम या sex स्लेव थीं।

मारिया क़िब्तिया :

  • दिया गया था मिस्र के शासक द्वारा (Muqawqis) एक दासियों के समूह में।

सफ़िया बिन्ते हुय्यै की कहानी:

  • पहले एक सहाबा दिया अल काल्बी को युद्ध जीत के इनाम में दी गई बाद में मोहम्मद ने उसकी सुंदरता देखकर उसे अपने पास रख लिया, बदले में दूसरी लौंडियाँ कालवी (कल्बी) नामक साथी को दे दीं।
  • हदीसों में ज़िक्र है कि जिस दिन उसके पिता और पति को मारा, उसी रात मोहम्मद ने उसे अपने बिस्तर में बुला लिया।
  • इब्न इशाक (Sirat Rasul Allah – Ibn Ishaq), अनुवाद A. Guillaume, “The Life of Muhammad”, पृष्ठ 511-515
  • Ibn Sa’d Vol 8, p. 121

Muhammad took Safiyya bint Huyayy, whose husband had just been killed, and spent the night with her on the way back to Medina.

— Ibn Ishaq, translated by A. Guillaume

एक औरत जिसके पति और पिता का कत्ल हो वो कातिल के साथ अपनी मर्जी से उसी रात संबंध बनाएगी? वो भी जब उसके सामने उसके पति को तड़पा के मारा गया हो?

इब्न सअद (Kitab al-Tabaqat al-Kabir, Volume 8, Page 121)

When the Prophet married Safiyya, she was 17 years old and very beautiful. Her husband was tortured and killed for hiding the treasure. 

कनाना बिन रबी (सफ़िया के पति) को खज़ाना छुपाने के आरोप में प्रताड़ित किया गया (सीने पर आग से जलाना, फिर हत्या) — Ibn Ishaq, p. 515

स्रोत: के लिए देखें सही बुखारी 371, 947, 2235, 4211

Sahih Bukhari 371
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Sahih Bukhari 947
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Sahih Bukhari 2235
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Sahih Bukhari 4211
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जुऐरिया बिन्त हारिस – खुद के कबीलियाई प्रमुख की बेटी थीं।

  • मोहम्मद के साथी थाबित ने उसे बंदी बनाया था। और ये उसकी गुलाम लौंडी थी।
  • मोहम्मद ने उसे “देखा” और खरीद लिया, आयशा ने उसे देख कहा था कि ये इतनी नमकीन है कि मोहम्मद ने देखा तो जरूर अपना लेगा।
    (तारीख ए तबरी वॉल्यूम 8 सफा 57 english version, सीरत उल नबी इब्ने कसिर सफा 227 450)

अली की हदीस – सहाबा की मानसिकता

सही बुखारी 4350

“मैंने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! क्या मैं उन औरतों से संभोग कर सकता हूं जो ग़ुलाम बनकर हमारे पास आई हैं?”
मोहम्मद ने कहा: “हाँ, क्योंकि वे तुम्हारी मिल्कियत हैं।”

Sahih Bukhari 4350
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गुलामों को बेचना और मोल-भाव करना:

  • मोहम्मद ने एक ग़ुलाम बेचा (Mu’abbad नामक) और बदले में दो ग़ुलाम लिए।
  • इब्न साद के अनुसार उन्होंने कई बार ग़ुलाम बेचे और बदले में ऊंट और सामान लिया।
  • Ibn Sa’d, Tabaqat al-Kubra, Volume 1, p. 377

विवरण:

यहां बताया गया है कि मुहम्मद ने गुलामों को खरीदा और बेचा था, और कई गुलामों को अपने निजी कार्यों के लिए रखा था। खुद मोहम्मद ने हथियार और घोड़े खरीदने के लिए नजद के बाजार में  गुलाम बिकवाए (तारीख ए तबरी जिल्द 2 हिस्सा 1 वाक्य ए बनू कुरैजा) ये मानव तस्कर पैगम्बर थे?

सुनान अबी दाऊद 3358, जामिया तिरमिजी 1239, सही बुखारी 6716

Sunan Abu Dawud 3358
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Jami’ Tirmidhi 1239
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Sahih Bukhari 6716
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मां बनने से भी कुछ नहीं बदलता

“लौंडी अगर मालिक की संतान को जन्म देती है तो उसे “उम्मे वलद” कहते थे, फिर भी उसे बेचा जा सकता था।”
(Tabari, Ibn Kathir)

सुनन इब्न माजा (2517)—अपने बच्चों की माँओं (गुलाम) को भी बेचा। मतलब औरत मां बन जाए तो भी उसके बच्चे को रख कर उसको बेचा जाता था।

सहीह बुखारी (2229, 7409)–बाजार में दाम कम न हो और औरत मां न बने इसके लिए “अजल” (कोईटस इंटरप्टस) क्या जाता था।

Sunan Ibn Majah 2517
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Sahi Bukhari 2229
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Bukhari 7409
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लौंडी को “सतर” ढकने की अनुमति नहीं:

  • लौंडी सिर्फ नाभि से घुटने तक ढँकती थी।
  • हदीस: “लौंडी को सती स्त्री जैसा कपड़ा पहनाना फिजूलखर्ची है।”

    Imam Shaybani — al‑Masʾūl (निजामी फ़ितवा ग्रंथ)
    • उन्होंने लिखा:

      “…वह सिर, हाथ, छाती, बाज़ू, पैरों आदि से लेकर घुटने तक का हिस्सा दिख सकता है, लेकिन पेट, पीठ, या नाभि से घुटने तक का हिस्सा नहीं देखा जाना चाहिए।”
      यह था कि slave‑girl की आबराह सिर्फ़ नाभि से घुटने के बीच की सीमा मानी गई थी।
  • 2. Imam Malik — Al‑Sharh al‑Saghīr:
    • वर्णन करते हैं कि एक आमगुलाम महिला पर पुरुष ज्यादा देख सकता है—सिवाय नाभि से घुटने के हिस्से के, क्योंकि:


      “عورة الأمة مع كل واحد ما بين السرة والركبة”
      अर्थात् “slave‑girl की आबराह प्रत्येक व्यक्ति के लिए केवल नाभि से घुटने तक होती है।”


  • 3. Imam Ahmed ibn Hanbal — Kitāb al‑Kāfī:
    • बताते हैं:


      “जो हिस्सा साहबों के समय आमतः दिखता है — जैसे सिर, हाथ की ऊपरी कलाई, घुटनों तक के पैर — वह आबराह नहीं था, क्योंकि ‘Umar ने slave‑स्त्रियों को मुफ्त महिलाओं की तरह कपड़े पहनने से मना किया था।”
      और फिर उद्धृत किया गया हदीस:

      “إذا زوج أحدكم أمته… فلا ينظر إلى شيء من عورته، فإن ما تحت السرة إلى الركبة عورة”

      — अर्थात् “नाभि से घुटने तक हर हिस्सा आबराह है।”

गुलाम पुरुषों को बधिया करना (Castration):

  • मोहम्मद ने इसकी इजाज़त नहीं दी, लेकिन उम्मैयद और अब्बासी खलीफा काल में लाखों गुलामों को बधिया किया गया ताकि वो हरम में रखे जा सकें।
    (*Reference: Bernard Lewis – Race and Slavery in the Middle East)

ढोंग बनाम हकीकत

6.1 झूठ और सच:

इस्लामी विद्वान कई बहाने दे कर इस कुप्रथा का बचाव करते हैं आइए इसका सच देखें।

ढोंग: “इस्लाम ने गुलामी खत्म की।” 

सच: कुरान-हदीस में एक भी आयत नहीं जो गुलामी हराम करती हो।

ढोंग: “औरतें लड़ने आई थीं।” 

सच: सहीह बुखारी (2541)—बनू मुस्तलिक पर सुबह हमला, लोग सो रहे थे। औरतें कहाँ लड़ीं? सही बुखारी 371 खैबर पर सुबह हमला हुआ जब सब सो रहे थे। कौन सी औरत लड़ने आई? बुलुग अल मरम जिहाद भाग 11 हदीस 10 बनू मुस्तलिक को पता ही नहीं था हमला होने वाला है इस्लाम ने अचानक हमला किया। कौन सी औरत लड़ने आई? सुनान अबी दाऊद 2155 मोहम्मद ने अवतास में लश्कर भेजा जंग ए हुनैन के समय कौन सी औरत लड़ने आई थी?

Sahi Bukhari 2541
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bulugh al-maram, jihad, hadith 10
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Sahi Bukhari 371
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Sunan Abu Dawood 2155
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ढोंग: “गुलाम को आजाद करना बड़ा सवाब।” 

सच: सहीह बुखारी (2594)—मोहम्मद ने मैमूना को गुलाम आजाद करने से बेहतर अपने मामू को देने को कहा। मारिया जो मोहम्मद के बच्चों की मां बनी उस तक को कभी आजाद नहीं किया।

Sahi Bukhari 2594
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ढोंग: “शादी के बाद ही संबंध बनाना हलाल।” 

सच: कुरान 33:50—बिना निकाह जायज।

ढोंग: “हद जो खाया पहना वही खाना-कपड़ा दिया।” सच: सोने का पिंजरा भी पिंजरा ही होता है। और इस से उनका बाजार में बिकना बंद नहीं हुआ।

ढोंग: यदि किसी महिला का पति मर जाता था, तो गुलामी उसकी शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए थी।

सच: क़ुरान 4:24 से पता चलता है कि यदि महिला का पति जीवित भी होता, तो भी यदि वह दासी बना ली जाती, तो उसका विवाह स्वतः ही अमान्य हो जाता। सुन्नन अबू दाऊद 2155 में उल्लेख है कि कुछ सैनिक उन गुलाम औरतों के साथ संबंध बनाने से हिचक रहे थे जिनके पति जीवित थे। तब अल्लाह ने क़ुरान 4:24 आयत भेजी, जिसमें इसे “वैध” घोषित कर दिया गया।

ढोंग: गुलाम अपनी आज़ादी खरीद सकते थे।

सच:: एक गुलाम महिला, जिसे घर के कामों के लिए रखा गया हो, वह पैसा कैसे कमा सकती थी जिससे वह अपनी आज़ादी खरीद सके?

कट्टरपंथी आज भी लागू करते हैं ये शरीयत:

  1. बोको हराम: ईसाई लड़कियों को लौंडी बना कर “निकाह” कर देते हैं।
  2. ISIS (इस्लामिक स्टेट): यज़ीदी लड़कियों को “मालिकत यमीन” मानकर खुलेआम रेप किया।
    • उनके “नबी की सुन्नत” के अनुसार!
  3. तालिबान: हज़ारा महिलाओं के साथ यही किया।

भारत का क्या?

अगर शरीयत लागू हुआ तो:

  • ग़ैर-मुस्लिम महिलाएं माल-ए-ग़नीमत होंगी।
  • “मालिकत यमीन” की अवधारणा को “धार्मिक आज़ादी” कहकर जायज़ ठहराया जाएगा।
  • ख़ामोश बहुमत उस समय भी यही कहेगा — “वो उस ज़माने की बात थी।”

निष्कर्ष:

“जिस पैग़ंबर ने शराब, सुअर, मूर्तिपूजा और गाने पर पाबंदी लगा दी — वह गुलामी और बलात्कार पर चुप क्यों रहा?”

इसका जवाब एक ही है: क्योंकि वह खुद उस ‘सिस्टम’ का हिस्सा था — और लाभार्थी भी।

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संदर्भ (References):

  • Sahih Bukhari (2224, 4350, 3894, 4104)
  • Sahih Muslim (Kitaab al-Nikah)
  • Tafsir al-Tabari
  • Ibn Sa’d – Tabaqat
  • Bernard Lewis – Race and Slavery in the Middle East
  • M.A. S. Abdel Haleem – The Quran, Oxford Translation
  • Patricia Crone – Slaves on Horses
  • Kecia Ali – Sexual Ethics and Islam

ISIS Fatwa Document on Sabaya (available via UN archives)

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